कड़कनाथ योजना

भारत में कड़कनाथ मुर्गे की एक ऐसी नस्ल है, जिसका मांस काले रंग का होता है| कई रिसर्च के अनुसार सफ़ेद रंग वाले चिकन की तुलना में काले चिकन में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा काफी कम होती है, तथा एमिनो एसिड का लेवल अधिक होता है| देशी और बायलर मुर्गे की तुलना में इसका स्वाद काफी अच्छा होता है | मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में इस काले मुर्गे का पालन किया जाता है, जहां इसे कालीमासी नाम से जानते है|

कड़कनाथ मुर्गे की जुबान, चोंच, मांस, अंडा बल्कि शरीर का हर भाग काला होता है | इसमें प्रोटीन भरपूर होता है, तथा वसा काफी कम होती है | इसलिए हार्ट और डायबिटीज के मरीजों के लिए यह चिकन काफी फायदेमंद होता है | कड़कनाथ मुर्गे की तासीर काफी गर्म होती है, तथा देश से तक़रीबन सभी हिस्सों में इस मुर्गे की काफी अच्छी मांग रहती है | यह तीन प्रजातियों में पाया जाता है, जिसमे पेंसिल्ड, गोल्डन और जेड ब्लैक शामिल है |

कड़कनाथ मुर्गे का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। इस मुर्गे में आयरन और प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। जबकि कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को भी घटाता है। दिल के मरीज और डायबिटीज के रोगियों के लिए कड़कनाथ को बेहद फायदेमंद माना गया है। माना जाता है कि दुनिया के किसी भी खाये जाने वाले पक्षी के मांस मे देसी कड़कनाथ जितने पोषक तत्व नही होते हैं। यही वजह भी है कि महंगा होने के बावजूद नॉनवेज खाने वालों में सबसे ज्यादा मांग इस मुर्गे की है। कोरोना संक्रमण के दौर में लोग इसे इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर भी देखते हैं।